जन्तुआे मे गति ।
हम प्रतिदिन घर से विद्यालय जाते हैं तथा विद्यालय से घर आते हैं और अनेक प्रकार के कार्य करते हैं और सब चीज करने के लिए जैसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो इस प्रकार की गति को गमन कहते हैं हमारे शरीर एक ढांचा है जिसे कंकाल तंत्र कहते हैं उसमें अनेक प्रकार के जोड़े हैं जैसे शरीर के अंग जहां मुड़ते हैं उस हिस्सा को संध्या + कहते हैं गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि को पाइबोटल जॉइंट कहते हैं अचल संधि हमारी खोपड़ी कई अस्तियों के जुड़ने से बनी होती है खोपड़ी के अंदर मास्तिक सुरक्षित रहता है खोपड़ी अंदर से खोखली होती है_ यह अस्तियां इन संधियों पर हिल नहीं सकती ऐसी संधि को अचल संधि कहते हैं कमर की अस्थियां को श्रेणी आस्तियां कहते हैं यह बॉक्स के सामान एक ऐसी संरचना बनाती है जो आमाशय के नीचे पाए जाने वाले विभिन्न अंगों की रक्षा करता है औरतों में यह थोड़ा बड़ा और ज्यादा कटोरी नुमा होता है तथा माता माता के गर्भ में पल रहे शिशु को स्थिर रखता है वह हस्ती है जो कठोर नहीं होते हैं बल्कि लचीली होते हैं इसे उपस्थित कहते हैं जैसे कान की हड्डी नाक की हड्डी केहुनी की संधि एवं घुटने
जन्तुआे मे गति क्या है ।
Reviewed by Tuber Sarfaraz
on
June 23, 2018
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